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Ara: नदी आधारित ज्ञान परंपरा को संरक्षित करना होगा – प्रो. भारती

नदी संवाद कार्यक्रम आयोजित, नदियों के सांस्कृतिक मानचित्रण का संकल्प

रिपोर्ट– जितेंद्र कुमार

आरा/उदवंतनगर: नदी मित्र की आरा इकाई द्वारा उदवंतनगर के ग्रीन पार्क विभावरी शिक्षा निकेतन प्रांगण में नदी संवाद कार्यक्रम तथा संगोष्ठी का आयोजन किया किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में नदी मित्र के राष्ट्रीय संयोजक तथा महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के प्रो.ओम प्रकाश भारती ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा भारत की संस्कृति नदी मातृक है। नदियां सभ्यताओं की जननी हैं। भारतीय परंपरा में नदियां देवी व माताओं के रूप में पूजनीय हैं। संस्कृति की प्रवाह हैं। बढ़ते प्रदूषण, वन और जंगलों की कटाई तथा सामाजिक और सरकारी उपेक्षा के कारण नदियां तेजी से प्रदूषित हो रहीं हैं। देश में अभी तक नदियों की जनगणना नहीं कराई गई है। सोशल मीडिया (गूगल), ए आई आदि भारत में केवल चार सौ नदियां बताती है, जबकि केवल बिहार में सौ से अधिक नदियां हैं।

नदियों की जनगणना कराई जाएगी
वर्ष 2023 में भारत सरकार द्वारा जल निकायों (झील, पोखर, तलाब) की जनगणना कराई गई। नदियों को अब भी जनगणना की प्रतीक्षा है। नदियों की जनगणना में केवल नदियों की गिनती नहीं की जाती, बल्कि उनका इतिहास, संस्कृति, धार्मिक और संस्कृतिक महत्त्व तथा भौगोलिक विशेषताओं को संरक्षित किया जाता है। नदी मित्र का संकल्प है-नदियों का सांस्कृतिक मानचित्रण। इसमें जनगणना के साथ नदियों से जुड़े मिथक, कहानी, गीत तथा ऐतिहासिक विवरणों को एकत्र किया जाएगा। नदियों के किनारे बसे समुदायों, तीर्थस्थलों और सांस्कृतिक स्थल, पर्व, त्यौहार तथा अनुष्ठानों का अध्ययन किया जाएगा। स्थानीय लोगों और विद्वानों से साक्षात्कार के माध्यम से मौखिक परंपराओं का संकलन एवं संरक्षण किया जाएगा।

सांस्कृतिक धरोहरों को हम संरक्षित करें
भौगोलिक सूचना प्रणाली द्वारा नदियों का ‘डेटाबेस’, ‘डिजिटल आकाईक’ तथा संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा। यह संकल्प हमने बिहार की धरती से लिया है। अभी हमने, भोजपुर, रोहतास, बक्सर, कैमूर जिले की नदियों का सांस्कृतिक मानचित्रण किया है। हम बिहार के विभिन्न जिलों में जा रहे हैं। भौगोलिक स्वरूप को देखें तो भोजपुर जिला गंगा और सोन नदी की बाहों में है। नदी मित्र आरा इकाई के संयोजक रंगकर्मी मनोज सिंह ने कहा गंगा सहित बनास, गगनी, छेरा, कुम्हारी, ढेरा आदि भोजपुर की अल्पज्ञात नदी है। सांस्कृतिक मानचित्रण से भोजपुर के सांस्कृतिक धरोहरों को हम संरक्षित कर सकेंगे। इसके साथ ही जिले लोक कलाकार राजा बसंत, श्याम शर्मिला पूजा कुमारी द्वारा कई नदी गीत व गंगा गीतों की प्रस्तुति की गईं। तबले पर संगत अंकुर कुमार ने किया। इस अवसर पर नदी मित्र उत्तर प्रदेश इकाई के संयोजक राहुल यादव सहित डॉ अनिल सिंह, लक्ष्मण दुबे आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालनडॉ पंकज भट्ट तथा धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के निदेशक सतेंद्र कुमार सिन्हा ने किया।

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