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मध्य प्रदेशराज्य समाचार

महाकाल लोक के बाद उज्जैन में बनेगा ‘शनि लोक’, 140 करोड़ की मंजूरी, सिंहस्थ 2028 से पहले होगा तैयार

उज्जैन 

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महाकाल लोक का लोकार्पण किए जाने के बाद यहां श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जो आज भी लगातार बनी हुई है। इसी विकास यात्रा में अब उज्जैन एक और भव्य धार्मिक स्थल का साक्षी बनने जा रहा है। महाकाल लोक की तर्ज पर शनि लोक का भव्य निर्माण किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 140 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं।

जानिए कहां दिखेगा शनि लोक का खूबसूरत नजारा 
महाकाल की नगरी में अति प्राचीन शनि मंदिर है. यहां यह खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलेगा. जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. यह वह प्रसिद्ध स्थान है, जहां शनि महाराज शिवलिंग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देकर भक्तों के कष्ट हरते हैं. इतना ही नहीं, इस मंदिर की और भी कई खासियतें हैं.

शिव के रूप में शनिदेव 
मंदिर के पुजारी राकेश बैरागी ने बताया, यह मंदिर 2000 वर्ष पुराना है. राजा विक्रमादित्य की जब साढ़ेसाती खत्म हुई थी, तब शनि महाराज राजा पर प्रसन्न हुए और यहां सारे ग्रह एक साथ प्रकट हुए. इसे शनि मंदिर में एक साथ विराजमान हुए, तभी से इस मंदिर में लोगों की आस्था है. यहां पर मुख्य शनिदेव की प्रतिमा के साथ-साथ ढैय्या शनि की भी प्रतिमा स्थापित है. बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य का इतिहास भी इस मंदिर से जुड़ा है. यही नहीं, यह शनि मंदिर पहला मंदिर है, जहां शनिदेव शिव रूप विराजमान हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए शनिदेव पर तेल चढ़ाते हैं. कहा जाता है कि यहां साढ़ेसाती और ढैय्या की शांति के लिए शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है.

शनि लोक का अद्भुत स्वरूप आएगा नजर
उज्जैन स्थित अति प्राचीन शनि मंदिर में शनि लोक का भव्य नजारा जल्द ही दिखाई देगा। शीघ्र ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। यह वही स्थान है, जहां शनि महाराज शिवलिंग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं और उनके कष्ट हरते हैं। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं और विशेषताएं प्रसिद्ध हैं।

शिव के स्वरूप में विराजमान हैं शनिदेव
मंदिर के पुजारी राकेश बैरागी के अनुसार यह मंदिर लगभग 2000 वर्ष पुराना है। मान्यता है कि जब राजा विक्रमादित्य की साढ़ेसाती समाप्त हुई, तब शनि महाराज प्रसन्न होकर यहां प्रकट हुए और सभी ग्रहों ने एक साथ दर्शन दिए।

यह देश का पहला ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां शनिदेव शिवरूप में विराजमान हैं। यहां मुख्य शनिदेव की प्रतिमा के साथ ढैय्या शनि की प्रतिमा भी स्थापित है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति और शांति के लिए शनिदेव पर तेल चढ़ाने आते हैं।

140 करोड़ में बनेगा भव्य शनि लोक
सीएम मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। शनि लोक का निर्माण इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

गौरतलब है कि नवग्रह शनि मंदिर पर शनिवार व शनिश्चरी अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां शनि लोक निर्माण के लिए मुख्यमंत्री ने 140 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है।

सिंहस्थ से पहले पूरा होगा निर्माण
कलेक्टर  ने बताया कि सीएम के निर्देशानुसार विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं और सिंहस्थ 2028 के दौरान यहां भारी भीड़ आने की संभावना है।

इसी कारण शनि लोक निर्माण के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है और लक्ष्य है कि सिंहस्थ से पहले शनि लोक का निर्माण पूरा हो जाए।

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