
बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जारी रहेगा.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि रिवीजन प्रक्रिया में आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों को भी शामिल किया जाए. इस मामले में अगली सुनवाई अब 28 जुलाई को होगी.
आयोग का कहना है कि अब तक 57% से ज्यादा एन्युमरेशन फॉर्म जमा हो चुके हैं और अभी 16 दिन बाकी हैं. वहीं, सांसद पप्पू यादव ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, “बिहार के करीब चार करोड़ लोग राज्य से बाहर हैं, दो करोड़ मजदूर पलायन कर चुके हैं, और 73% हिस्सा बाढ़ से प्रभावित है. अगर मतदाता सूची में गड़बड़ी है, तो चुनाव आयोग ने छह महीने पहले इसकी तैयारी क्यों नहीं की?” चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी सवाल उठाते हुए कहा, “आखिर एक साल में ऐसा क्या हो गया कि पूरी वोटर लिस्ट को दोबारा जांचने की ज़रूरत पड़ गई? अगर बिहार में NDA की सरकार है, तो क्या वे ये मान रहे हैं कि उनके कार्यकाल में घुसपैठिए बिहार में घुस आए हैं?”
इस मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में क्या होता है और विपक्ष की आपत्तियों को कितनी गंभीरता से लिया जाता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं.