
पटना: नीतीश लालू को बिहार से किए उनके वादों की याद दिलाते रहे, लोहिया के समाजवाद की याद दिलाते रहे। कभी- कभी तो लालू को वचन की याद दिलाने पर इतना गुस्सा आ जाता की उन्हें नीतीश कुमार की नीयत पर संदेह होने लगता। एक बार लालू यादव ने कह ही दिया- सरकार हथियाना चाहता है का नीतीशवा?
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब ‘Single Man: The Life & Times of Nitish Kumar of Bihar’ में विस्तार से की है। ठाकुर ने किताब ने लिखा है कि जब एक शाम लालू से बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला, तो नीतीश कुमार हताश होकर चले गए। लालू ने उस शाम नीतीश कुमार की सलाह पर नाक- भौं सिकोड़ी थी, अरुचि दिखाई थी तथा झिड़कते हुए यहां तक कह दिया था कि शासक का शिक्षक बनने की कोशिश मत करो। तुम हमको राज- पाट सिखाओगे? गवर्नेंस से पावर मिलता है का? पावर मिलता है वोट- बैंक से, पावर मिलता है लोगों से, क्या गवर्नेंस रटते रहते हो? संकर्षण ठाकुर ने ‘सिंगल मैन’ पुस्तक में लिखा है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू यादव की एक अंतरंग मंडली बन गई थी। जिसमें कई लोग शामिल थे। उसमें नीतीश कुमार के सियासी दुश्मन भी थे।
लालू की अंतरंग मंडली
पुस्तक में लालू यादव के अंतरंग मंडली की चर्चा करते हुए संकर्षण ठाकुर लिखते हैं- जैसा कि राजाओं के साथ अक्सर होता है। लालू की भी यार- दोस्तों की एक अंतरंग मंडली बन गई थी। इस मंडली के मुख्य किरदारों में लालू के लालची साले शामिल थे- साधु और सुभाष यादव। सत्ता और प्रतिष्ठा के इस मधु- कुंड के चारों और मधुमक्खी का छत्ता बनाने वालों में दूसरे लोग भी थे- यूनिवर्सिटी प्राध्यापक से राजनीतिज्ञ बना रंजन यादव, जो स्वयं को राजा के दर्शन- शास्त्र मार्गदर्शक के रूप में देखने की चाहत रखता था; हरियाणा का एक व्यापारी प्रेम गुप्ता, जो लालू को ऊंचे पद के साथ तड़क- भड़क बनाकर रखने की कला सीखने की शिक्षा देने का काम करने लगा था। अनवर अहमद, जिले लालू की मंडली के लोग ‘कबाब मंत्री’ पुकारना अधिक पसंद करते थे क्योंकि उसे अपने मालिक को सभी तरह का बढ़िया से बढ़िया गोश्त खिलाने का हुनर प्राप्त था।
मंडली में पत्रकार
उसके अलावा लालू की अंतरंग मंडली में पत्रकारों का झुंड, जो हमेशा लालू के विश्राम कक्ष में जगह पाने के लिए, लालू से भेंट करने और सलाह देने के लिए तत्पर रहता था। वे सब मिलकर नीतीश के प्रति संदेहों का जहर लालू के कानों में डालते रहते थे। सावधान रहना, वह सिंहासन के पीछे की शक्ति बनना चाहता है। फिर सिंहासन पर अपना कब्जा जमाने की आस लगाए बैठा है। यही वह समय था, जब लालू ने नीतीश के लिए इस देसी कहावत का प्रयोग करना शुरू कर दिया- इसके पेट में दांत है…। ‘Single Man: The Life & Times of Nitish Kumar of Bihar’ पुस्तक में इस बात की भी विस्तार से चर्चा है कि जब लालू यादव के करीबी श्याम रजक नीतीश कुमार के पाले में पहुंच गए, तो उन्होंने लालू शासनकाल के दौरान हुई कैबिनेट की बैठकों की चर्चा का खुलासा किया।