
आरा से जितेंद्र कुमार की रिपोर्ट
आरा: मुहर्रम पर बुधवार को मातमी “बीबी का डोला’ जुलूस निकाला गया । महाजन टोली न•1, महादेवा रोड, स्थित डिप्टी शेर अली के इमामबाड़ा से स्व• अहमद हुसैन की तरफ से शहर में निकाला गया। यह जुलूस महादेवा रोड, धर्मन चौक, गोपाली चौक, शीश महल चौक, बिचली रोड होते हुए वापस धर्मन चौक, महादेवा रोड स्थित डिप्ली शेर अली के इमामबाड़ा में जाकर समाप्त हुआ। यह जुलूस निकलने की परम्परा लगभग 200 वर्ष पुरानी है। इसमें कर्बला मे हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करके नौहा पढ़ा जाता है और मातम मनाया जाता है। शिया समाज के लोग विशेषकर काला वस्त्र पहनकर इस शोकपूर्ण घटना की याद में मातम, नौहा करते हुए शोक मनाते है। और सभी समुदाय के लोग भी इस शोकपूर्ण घटना की याद में जुलूस के साथ शामिल रहते हुए अपना भरपूर सहयोग करते हैं। इस जुलूस मे सैयद काज़िम हुसैन, प्रोफेसर सैयद एजाज़ हुसैन, सैयद आबिद हुसैन, सैयद शब्बीर हसन, सैयद हसनैन, सैयद अक़ील हैदर, गुड्डू अंसारी, सैयद कमर बिलग्रामी, सैयद वक़ार हुसैन, सैयद वारिस बिलग्रामी, मोहसिन हैदर, यावर हुसैन, शादाब हुसैन, लड्डन अंसारी आदि अनेक लोग शामिल थे। सैयद हसनैन ने जुलूस मे नौहा पढ़ा जिसकी पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:-
“टूटे हुए दिलों का सहारा हुसैन है”
“इंसानियत की आँख का तारा हुसैन है”
जुलूस में सैयद रेयाज़ हुसैन ने नौहा पढ़ा, जिसकी पंक्तिया इस तरह हैं:
“है आज भी ज़माने मे चर्चा हुसैन का”
हर क़ौम कह रही है हमारा हुसैन है”
जुलूस में गुड्डू अंसारी, ओम प्रकाश “मुन्ना”, महफ़ूज आलम, अब्दुल वहाब, शमीम अहमद, लड्डन अंसारी, मेहदी हसन, बीर बहादुर, आदि का इसके संचालन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।प्रशासन की ओर से जुलूस की देख रेख की गई ।