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Success Story

Success Story: विकलांगता को मात देकर IAS अधिकारी बनी उम्मुल खेर, पढ़े उनकी प्रेरणादायक कहानी

Success Story: आज हम आपको एक ऐसी बहादुर महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने शारीरिक विकलांगता और आर्थिक तंगी को पीछे छोड़कर IAS अफसर बनने का सपना साकार किया। हम बात कर रहे हैं IAS उम्मुल खेर की।

Success Story: UPSC परीक्षा को भारत की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत, समर्पण और मानसिक मजबूती की जरूरत होती है। आज हम आपको एक ऐसी बहादुर महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने शारीरिक विकलांगता और आर्थिक तंगी को पीछे छोड़कर IAS अफसर बनने का सपना साकार किया। हम बात कर रहे हैं (Success Story) IAS उम्मुल खेर की।

Success Story बचपन से ही विकलांगता और गरीबी से संघर्ष

उम्मुल खेर (Success Story) बचपन से ही एक गंभीर बीमारी, बोन फ्रैजाइल डिज़ीज़ (Osteogenesis Imperfecta) से जूझ रही हैं, जिसमें हड्डियाँ बेहद कमजोर हो जाती हैं और बार-बार टूटने का खतरा बना रहता है। बचपन में ही उन्हें 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी का सामना करना पड़ा। इस मुश्किल बीमारी के साथ-साथ उन्होंने गरीबी और पारिवारिक विरोध का भी सामना किया, लेकिन उनके हौसले कभी नहीं डगमगाए।

Success Story झुग्गी-झोपड़ी से शुरू हुआ सफर

उम्मुल (Success Story) का जन्म राजस्थान में हुआ था, लेकिन उनके पिता बेहतर जीवन की तलाश में उन्हें लेकर दिल्ली आ गए। यहां वह निजामुद्दीन इलाके की झुग्गी बस्ती में रहने लगे। उनके पिता फेरी लगाकर परिवार का पेट पालते थे। जिंदगी आसान नहीं थी — न तो रहने की जगह ठीक थी और न ही पढ़ाई के लिए संसाधन। 2001 में झुग्गियों के हटने के बाद परिवार बेघर हो गया, लेकिन उम्मुल ने फिर भी पढ़ाई नहीं छोड़ी।

कठिनाइयों के बीच शिक्षा की चमक

मुश्किल हालातों के बावजूद उम्मुल (Success Story) ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने स्कॉलरशिप और फेलोशिप के ज़रिए आगे की शिक्षा प्राप्त की। वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से MPhil और फिर PhD में दाखिल हुईं। 2014 में उन्हें जापान के इंटरनेशनल लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए चुना गया — यह गौरव पाने वाली वह चौथी भारतीय बनीं।

UPSC में पहले प्रयास में सफलता

JRF पास करने के बाद उम्मुल ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने बिना कोचिंग के, सिर्फ सेल्फ स्टडी के दम पर IAS बनने की राह तय की। पहले ही प्रयास में उन्होंने 420वीं रैंक हासिल कर एक मिसाल कायम की। उम्मुल खेर आज IAS अधिकारी हैं और लाखों युवाओं, खासकर दिव्यांग और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।

Success Story उम्मुल खेर: असली नायक की मिसाल

उम्मुल खेर (Success Story) की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कोई भी बाधा, चाहे वो शारीरिक हो या आर्थिक, इंसान की सफलता में आड़े नहीं आ सकती। आज उम्मुल सिर्फ एक अफसर नहीं, बल्कि देशभर की बेटियों और दिव्यांग छात्रों के लिए एक रोल मॉडल हैं।

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