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मध्य प्रदेशराज्य समाचार

महिला सशक्तिकरण से बाल संरक्षण तक: मध्यप्रदेश ने दो वर्षों में रचा विकास का नया अध्याय

महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने बतायी विभाग की उपलब्धियां

भोपाल
प्रधानमंत्री श्री नरोन्द्र मोदी के विकसित भारत-2047 विजन और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने बीते दो वर्षों में महिला सशक्तिकरण, बाल संरक्षण और पोषण के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की है। महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने पत्रकार वार्ता में विभाग की उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि प्रदेश में Women Led Development की अवधारणा को जमीनी स्तर पर सफलतापूर्वक लागू किया गया है। इसका सकारात्मक प्रभाव समाज के अंतिम व्यक्ति तक दिखाई दे रहा है।

लाड़ली बहना योजना बनी आर्थिक आत्मनिर्भरता की रीढ़
मंत्री सुश्री भूरिया ने बताया कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना महिला सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम बनकर उभरी है। जून 2023 से दिसंबर 2025 तक योजना की 31 किस्तों का नियमित भुगतान किया गया है। वर्तमान में 1 करोड़ 26 लाख से अधिक महिलाएं योजना से लाभान्वित हैं और अब तक 48,632 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे उनके खातों में अंतरित की जा चुकी है। इस योजना को देश भर में सराहा जा रहा है और कई राज्यों ने मध्यप्रदेश के मॉडल को अपनाया है।

बेटियों के भविष्य को सुरक्षित कर रही लाड़ली लक्ष्मी योजना
मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक 52 लाख से अधिक बालिकाओं का पंजीयन किया जा चुका है। पिछले दो वर्षों में 6.40 लाख बालिकाओं को 350 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति एवं प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है। आगामी वर्षों में लाखों और बालिकाओं को योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से बदली सोच, सशक्त हुई बेटियां
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत मध्यप्रदेश में बालिकाओं की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में व्यापक स्तर पर प्रभावी कार्य किए जा रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा योजना के अंतर्गत महिलाओं और बालिकाओं के लिए पिंक ड्राइविंग लाइसेंस अभियान चलाया गया, जिसके तहत अब तक 6,134 महिलाओं एवं बालिकाओं को लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान किए गए हैं। यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और सुरक्षित परिवहन को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

समाज में बेटियों को प्रेरित करने के उद्देश्य से विभाग ने 1,794 सफल बालिकाओं एवं महिलाओं को ‘जेंडर चैंपियन’ के रूप में चिन्हित किया है। ये जेंडर चैंपियन न केवल अन्य बालिकाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रही हैं, बल्कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देकर समाज में जागरूकता भी फैला रही हैं।

योजना के अंतर्गत सशक्त वाहिनी कार्यक्रम के माध्यम से बालिकाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। विगत वर्षों में 7 हजार से अधिक बालिकाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जिससे उन्हें आगे बढ़ने के नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

इसके साथ ही आगामी तीन वर्षों में शाला त्यागी बालिकाओं को पुनः शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में विशेष कार्ययोजना बनाई गई है। इसके तहत इच्छुक बालिकाओं को मध्यप्रदेश राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड के माध्यम से 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा दिलाकर उनकी स्कूली शिक्षा पूर्ण कराई जाएगी। वहीं जो बालिकाएं आगे पढ़ाई जारी नहीं रखना चाहतीं, उनके लिए कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए वन स्टॉप सेंटर और हेल्पलाइन 181
प्रदेश में संचालित 57 वन स्टॉप सेंटर महिलाओं के लिए सुरक्षा और सहारे का मजबूत केंद्र बन चुके हैं। बीते दो वर्षों में 54,627 से अधिक संकटग्रस्त महिलाओं को यहां स्वास्थ्य, परामर्श, विधिक एवं पुलिस सहायता उपलब्ध कराई गई। वहीं, महिला हेल्पलाइन 181 के माध्यम से 2.36 लाख से अधिक महिलाओं को त्वरित सहायता दी गई।

कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित आवास की बड़ी सौगात
मंत्री ने बताया कि कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में पहली बार 284 करोड़ रुपये की लागत से 5121 सीट क्षमता वाले 8 नए वर्किंग वूमन हॉस्टल बनाए जा रहे हैं, जो अगले तीन वर्षों में पूरी तरह संचालित होंगे।

बाल विवाह और कुपोषण पर प्रभावी नियंत्रण
समन्वित प्रयासों से प्रदेश में बाल विवाह के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है। NFHS-4 में जहां बाल विवाह की दर 32.4 प्रतिशत थी, वहीं NFHS-5 में यह घटकर 23.1 प्रतिशत रह गई है।

कुपोषण के खिलाफ चलाए गए अभियानों का भी सकारात्मक असर दिखा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार कम वजन, ठिगनापन, दुबलापन और गंभीर कुपोषण — सभी संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

डिजिटल नवाचारों से सेवाओं में पारदर्शिता
आंगनवाड़ी सेवाओं में सम्पर्क ऐप, पोषण ट्रैकर और फेसियल रिकॉग्निशन सिस्टम जैसे डिजिटल नवाचारों से निगरानी और पारदर्शिता को नई मजबूती मिली है। प्रदेश देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जहां इन तकनीकों का प्रभावी क्रियान्वयन किया गया है।

विकसित मध्यप्रदेश 2047 की ओर निर्णायक कदम
महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने कहा कि सरकार का संकल्प है कि कोई भी महिला या बच्चा विकास से वंचित न रहे। महिला सशक्तिकरण, सुरक्षित बचपन और सुपोषण के माध्यम से मध्यप्रदेश विकसित भारत 2047 में अग्रणी भूमिका निभाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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