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अध्यात्म

पत्नी के तप से यमराज के द्वार से लौटा अंग्रेज! कैसे बना भोलेनाथ का भक्त—बैजनाथ महादेव मंदिर की अनसुनी कहानी

मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में स्थित बैजनाथ महादेव मंदिर का एक अनूठा इतिहास रहा है. ये मंदिर आगर-मालवा के सुसनेर रोड पर स्थित है, जोकि जिले के प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थलों में से एक है. मंदिर के शिखर की ऊंचाई लगभग 50 फीट है. यह भारत का एकमात्र मंदिर है जिसका अंग्रेजों ने जीर्णोद्धार करवाया. मंदिर बाणगंगा नदी के किनारे बना हुआ है. दरअसल, 16वीं शताब्दी में निर्मित इस प्राचीन मंदिर का 1883 में एक ब्रिटिश सेना अधिकारी ने जीर्णोद्धार कराया गया था. वह अधिकारी एक चमत्कारिक घटना के कारण शिव का भक्त बन गया था.

ब्रिटिश सेना का नाम लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन था, जोकि अफगानिस्तान युद्ध में भाग लेने गए. उनकी पत्नी आगर मालवा छावनी में रहती थीं. उन्हें कुछ दिनों तक अपने पति की कोई खबर नहीं मिली. एक दिन वह चिंतित होकर घोड़े पर सवार होकर जीर्ण-शीर्ण बैजनाथ मंदिर पहुंचीं. वहां की आरती और मंत्रोच्चार ने उसे आकर्षित किया. उनकी व्याकुलता देखकर पुजारियों ने उन्हें 11 दिनों तक ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करने की सलाह दी. उन्होंने प्रतिज्ञा की कि यदि उनका पति सुरक्षित लौट आता है, तो वह मंदिर का जीर्णोद्धार करवाएंगी.

मार्टिन की पत्नी के मंत्र जपने का फल

जब उन्होंने मंत्र का जाप करना शुरू किया उसके ठीक दसवें दिन मार्टिन का एक पत्र आया. उसमें उसने एक चौंकाने वाली बात लिखी. उसने बताया कि जब युद्ध में शत्रुओं ने उसे घेर लिया, तो बाघ की खाल पहने और हाथ में त्रिशूल लिए एक योगी प्रकट हुए और उन्होंने शत्रुओं को भगा दिया. मार्टिन ने बताया कि योगी ने उससे कहा कि वह उनकी पत्नी की प्रार्थनाओं के कारण उसे बचाने आए हैं.

सौभाग्य से, पति की सुरक्षित वापसी के बाद मार्टिन दंपति ने 15,000 रुपए के भारी दान से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. इसका प्रमाण आज भी मंदिर के शिलालेखों में देखा जा सकता है. इसके बाद वे इंग्लैंड चले गए, लेकिन कहा जाता है कि उन्होंने अपने घर में एक शिवलिंग स्थापित किया और अपनी अंतिम सांस तक शिव की पूजा की.

बैजनाथ महादेव मंदिर तक कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग: सबसे निकट इंदौर का देवी अहिल्या बाई होलकर हवाई अड्डा है, जोकि 126 किमी दूर है. यह मध्य प्रदेश का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा माना जाता है. दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, रायपुर और जबलपुर जैसे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.

रेल मार्गः इस मंदिर के सबसे पास उज्जैन का रेलवे स्टेशन है, जोकि 68 किमी दूर है. उज्जैन रेलवे स्टेशन मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है.

सड़क मार्गः आगर-मालवा सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. आप यहां एक कैब किराए पर ले सकते हैं या उज्जैन, इंदौर (126 किमी), भोपाल (184 किमी) और कोटा राजस्थान (195 किमी) से बस पकड़कर यहां पहुंच सकते हैं.

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