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मध्य प्रदेशराज्य समाचार

ऐलोबेरा, महुआ से बने फेसपैक, तुलसी सीरप, आंवला जूस व बेल शर्बत बने सैलानियों की पसंद

दोपहर तक लगभग 1.58 करोड़ से अधिक की जड़ी-बूटियों और वन उत्पादों की हुई बिक्री

आयुर्वेद चिकित्सक एवं पारम्परिक वैद्यों ने कार्यशाला मेंकिया दुर्लभ जड़ी-बूटियों की उपलब्धता पर विचार-विमर्श

मंत्री डॉ. शाह और राज्य मंत्री वन श्री अहिरवार मंगलवार को करेंगे मेले का समापन

भोपाल

अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के छठे दिन सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र ऐलोबेरा , महुआ से बने फेशपैक, तुलसी सीरप, आंवला जूस और बेल शर्बत रहे। सैलानियों ने विंध्य हर्बल एम.एफ.पी. पार्क में बने ग्रोविट, च्यवनप्राश, त्रिफला, अर्जुन, चाय, महुआ  फेशपैक और अन्य स्वास्थ्यवर्धक औषधियां भारी मात्रा में खरीदीं। मेले में आयुर्वेदिक चिकित्सकों और पारम्परिक नाड़ी वैद्यों की कार्यशाला का आयो जन किया गया। कार्यशाला में शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सक एवं प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आये पारम्परिक वैद्य शामिल हुये। मेले का समापन 23 दिसंबर मंगलवार को जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह और वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री दिलीप अहिरवार शाम 5 बजे करेंगे।

समापन की ओर अग्रसर अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के प्रति सैलानियों का उत्साह कम होता नज़र नहीं आ रहा है। सैलानी भारी संख्या में आयुर्वेदिक उत्पाद, निःशुल्क चिकित्सा परामर्श और आकर्षक प्रदर्शनियां देखने पहुंच रहे हैं। सोमवार दोपहर तक 1.58 करोड़ रूपये से अधिक की जड़ी-बूटियों और वन उत्पादों की बिक्री हुई। निःशुल्क चिकित्सा परामर्श के लिये स्थापित ओ.पी.डी. में आज 120 आयुर्वेदिक चिकित्सकों एवं परंपरागत वैद्यों द्वारा आज 500 से अधिक लोगों को निःशुल्क परामर्श देकर लाभान्वित किया गया। निःशुल्क ओ.पी.डी. परामर्श की सुविधा 23 दिसंबर मंगलवार को दोपहर बाद 3 बजे तक संचालित की जायेगी।

अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में सोमवार को राजधानी भोपाल के विभिन्न आयुर्वेदिक महाविद्यालयों के विद्यार्थी भारी संख्या में सैलानी के रूप में आये। उन्होंने प्रदर्शर्नियों को बड़ी तन्मयता से देखा और जिला यूनियनों, प्राथमिक वनोपज समितियों एवं वन धन केन्द्रों के स्टॉल्स पर उपलब्ध जड़ी बूटियों के बारे में भी जानकारी ली।

वन मेले में सोमवार को शालेय विद्यार्थियों की इंस्ट्रुमेंटल संगीत की प्रस्तुति, लोक गायन, नुक्कड़ नाटक और आर्केस्ट्रा की प्रस्तुतियां देर शाम तक होती रहीं। प्रतियोगिता में 13 विद्यालयों के लगभग 70 विद्यार्थी ने भाग लिया। प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को वनपज संघ की एमडी डॉ. समीता राजोरा ने पुरस्कार प्रदान किये।

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