Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group
देश

हरिद्वार के वैरागी द्वीप से शुरू हुआ शताब्दी वर्ष, वसुधा वंदन समारोह बना साक्षी

हरिद्वार
अखिल विश्व गायत्री परिवार के शताब्दी समारोह का शुभारंभ राजा दक्ष की नगरी कनखल स्थित बैरागी कैंप में वसुधा वंदन समारोह के साथ हुआ। समारोह का शुभारंभ उत्तराखंड के राज्यपाल एवं गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि डॉ चिन्मय पण्ड्या ने हजारों स्वयंसेवक, संत, प्रबुद्धजन की उपस्थिति में 51 तीर्थों से संग्रहीत पवित्र रज-जल का पूजन कर किया। समारोह में अध्यात्म, संस्कृति और सेवा का व्यापक संगम देखने को मिला। यह समारोह परम वंदनीया माताजी के जन्म के 100 वर्ष, अखंड दीप प्रज्वलन के 100 वर्ष और परम पूज्य गुरुदेव की तप-साधना के 100 वर्ष के अविस्मरणीय अवसर को समर्पित रहा। इस दौरान अतिथियों ने विश्व मैत्री, पर्यावरण शुद्धि और सांस्कृतिक एकता का संकल्प लिया।
समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल ले. जनरल श्री गुरमीत सिंह (से.नि.) ने कहा कि अखंड ज्योति केवल एक दीप नहीं है। यह अखंड भारत की भावना, धर्म-जागरण की चेतना और भारत के आध्यात्मिक तत्त्व का जीवंत प्रतीक है। इसकी ज्योति हमें सत्य, नैतिकता और एकता का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि हम बदलेंगे, युग बदलेगा यह केवल नारा नहीं, समाज को भीतर से परिवर्तित करने वाला प्रेरक मंत्र है। गायत्री परिवार की सेवा-केन्द्रित कार्यशैली हरिद्वार और उत्तराखंड के लिए एक आदर्श मॉडल है। राज्यपाल ने कहा कि गायत्री परिवार ने समाज में नैतिक उन्नयन, सेवा और स्वच्छता की जो संस्कृति विकसित की है, वह राष्ट्र-निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है। राज्यपाल ने सभी स्वयंसेवकों की निष्ठा, अनुशासन और कार्य-भावना की विशेष सराहना की।
समारोह के अध्यक्ष जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें गुरु-शिष्य परंपरा में हैं। गुरु कुम्हार है और शिष्य कुंभ। गुरु बाहर से थपकी और भीतर से सहारा देकर जीवन को आकार देता है। माता-पिता, गुरु और ईश्वर—ये सनातन संस्कृति की एक ही धारा हैं। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार ने इन मूल्यों को दैनिक जीवन में उतारने का कार्य किया है, जो सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना को सशक्त बनाता है। पूज्य गुरुदेव के इस महान कार्य में माताजी की जो भूमिका है उसका अनुभव मैंने स्वयं किया है।
शताब्दी समारोह दलनायक डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि विश्व समुदाय के लिए शताब्दी वर्ष सौभाग्य की त्रिवेणी का अद्भुत संगम लेकर आया है। उन्होंने कहा कि वंदनीया माताजी समाज में नारी-जागरण और नारी-स्वाभिमान की प्रेरक शक्ति रहीं। माताजी ने नारी को परिवार और समाज की आधारशिला के रूप में देखा। उन्होंने संस्कार, सेवा और शिक्षा के माध्यम से नारी को सामथ्र्य प्रदान किया। उन्होंने कहा की यह आयोजन भारत की भूमि, पूज्य गुरुदेव और वंदनीया माताजी के प्रति हमारे ऋण की अभिव्यक्ति का समय है। उन्होंने कहा कि एक माह से हजारों सेवक स्थल-व्यवस्था, मार्ग-सज्जा, स्वच्छता और संरचना संबंधी तैयारी में जुटे थे। प्रतिकुलपति ने शताब्दी समारोह के विषय पर विस्तृत जानकारी दी।
वहीं समापन से पूर्व अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि डॉ चिन्मय पंड्या ने उपस्थित सभी अतिथियों को गायत्री मंत्र चादर, रुद्राक्ष की माला तथा पूज्य गुरुदेव का सत्साहित्य देकर सम्मानित किया। इस दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम, राज्यपाल, डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कार्यकर्ता पाथेय पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर विधायक मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री श्री शिवप्रकाश जी आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किया। इस दौरान व्यवस्थापक योगेंद्र गिरि, भाजपा उत्तराखंड प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, शिक्षाविद, सहित जिला प्रशासन के अनेक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकारगण उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button