देर रात तक ड्रामा: अकाली नेता की बेटी कंचनप्रीत की गिरफ्तारी पर हाई वोल्टेज सुनवाई, सुबह 4 बजे मिली रिहाई

चंडीगढ़
जिला अदालत तरनतारन में पूरी रात चली सुनवाई के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट पंकज वर्मा ने रविवार तड़के कानचनप्रीत कौर को पुलिस हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया। सुबह 4 बजे सुनाया गया फैसला अकाली नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच खुशी की लहर लेकर आया। क्षेत्र के प्रमुख अकाली नेता, जिनमें विरसा सिंह वाल्टोहा भी शामिल थे, कानचनप्रीत के साथ मौजूद रहे। कानचनप्रीत ने अदालत के फैसले पर खुशी जताई और न्यायपालिका पर अपना विश्वास दोहराया। इससे पहले, उन्हें शुक्रवार को चबल थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
कानचनप्रीत कौर, शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) नेता सुखविंदर कौर रंधावा की बेटी हैं, जिन्होंने हाल ही में तरनतारन विधानसभा उपचुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें विजय नहीं मिली। फिर भी, चुनाव में सुखविंदर का प्रदर्शन उत्साहजनक रहा और एसएडी दूसरे स्थान पर रही, जिससे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की स्थिति मजबूत हुई।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वे शनिवार को कानचनप्रीत को न्यायिक हिरासत में सौंपें और रात 8 बजे तक उनके वकीलों के जिला अदालत पहुंचने का इंतजार करें। इसी बीच, राज्य सरकार ने भी महाधिवक्ता कार्यालय से अपने वकीलों की नियुक्ति के लिए एक आवेदन दिया, जिसके बाद बहस का आरंभ रात 10 बजे हो सका। कार्यवाही रात 2 बजे तक चली और सुबह 4 बजे उनकी रिहाई का आदेश जारी किया गया।
एसएडी नेताओं ने कानचनप्रीत की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया। नेताओं का तर्क था कि यह गिरफ्तारी एक निर्दोष महिला को निशाना बनाने की दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई है, जो पंजाबियों की गरिमा पर चोट है।
कंचनप्रीत शिअद नेता सुखविंदर कौर रंधावा की बेटी हैं जो हाल में तरन तारन विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार से हार गई थीं। उपचुनाव के दौरान कथित धमकी से जुड़े एक मामले में कंचनप्रीत को पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया। मामला 11 नवंबर को तरन तारन के चभल थाने में दर्ज किया गया था।
सुनवाई के दौरान पुलिस ने कंचनप्रीत की 10 दिन की पुलिस हिरासत का अनुरोध किया था। शिअद नेतृत्व ने इसे आप सरकार की ‘‘राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित'' मामला बताया है। मामला शुरू में अमृतपाल सिंह बाथ के खिलाफ दर्ज किया गया था। बाथ पर शिकायतकर्ता पधरी कलां निवासी गुरप्रीत कौर को वोट देने के लिए धमकाने का आरोप था।
हालांकि, कंचनप्रीत का नाम 27 नवंबर को प्राथमिकी में दर्ज किया गया। उन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 174 (लोकसेवक के आदेश का पालन नहीं करना), 351(2) (आपराधिक धमकी), 351(3) (गुमनाम संदेश भेजकर आपराधिक धमकी) और 111 (संगठित अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कंचनप्रीत पर पहले ही चुनाव से जुड़े चार मामले दर्ज हैं, जिनमें उन्हें अग्रिम जमानत मिल चुकी है। इस मामले में याचिकाकर्ता एवं अकाली दल के विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख अर्शदीप सिंह क्लेर ने शनिवार को कंचनप्रीत की गिरफ्तारी के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की और उनकी गिरफ्तारी को गैर-कानूनी बताया।
सरकारी वकील चंचल के सिंगला ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि प्राथमिकी पहले ही दर्ज हो चुकी है। इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई के महासचिव बलतेज पन्नू ने आरोप लगाया कि कंचनप्रीत के पति अमृतपाल सिंह बाथ एक गैंगस्टर हैं और अकाली दल इस बात को जानबूझकर छिपा रहा है।
उन्होंने एक बयान में कहा कि शिअद नेतृत्व इसे अकाली नेता की बेटी की गिरफ्तारी के तौर पर क्यों पेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी इस ‘‘तथ्य को छिपा रही है'' कि वह एक गैंगस्टर की पत्नी है। पन्नू ने प्रश्न किया कि उपचुनाव के दौरान कंचनप्रीत के पति द्वारा मतदाताओं को डराए-धमकाए जाने की बात को अकाली दल क्यों छिपा रहा है।



