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MP News: सागर से हिंदू पलायन की खबर पर संत भी हुए सचेत, कह दी ऐसी बात—

पता है -निगम - मंडल के दावेदारों की बेचैनी कितनी बढ़ गई?

दिनेश निगम ‘त्यागी’
कहा, संघ सभी दलों का, पर काम एजेंडे के तहत ही….
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने यह जरूर कहा कि संघ सभी राजनीतिक दलों का है लेकिन वह जबलपुर में हो रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक से पूरे देश को अपने एजेंडे के तहत ही संदेश दे रहा है। इस समय बिहार विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं। इसे लेकर होसबोले ने कहा कि संघ चाहता है कि बिहार चुनाव में ज्यादा से ज्यादा मतदान हो और देश के हालातों और परिस्थितियों को देखकर ही लोग मतदान करें। संघ के एजेंडे में पश्चिम बंगाल भी है। संघ ने बंगाल के मौजूदा हालातों को विकट बताया और कहा कि बंगाल में द्वेष और नफरत फैल गया है, ये नहीं होना चाहिए। राजनीति बंगाल में हिंसा और अस्थिरता को बनाए रखना चाहती है, यह देश हित में नहीं है। संघ ने मणिपुर के वर्तमान हालातों पर चिंता जताई। उन्होंने देशवासियों से मणिपुर के लोगों की मदद करने की अपील की। होसबोले ने कहा कि धर्मांतरण को रोकने और धर्मांतरित लोगों की घर वापसी के लिए भी संघ द्वारा कई काम किए जा रहे हैं। पंजाब में सुनियोजित तरीके से सिख समुदाय में धर्मांतरण चल रहा है। धर्मांतरण रोकने के लिए जागरूकता अभियानों को लगातार मजबूत किया जा रहा है। होसबोले ने संघ पर प्रतिबंध की मांग करने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे काे भी आइना दिखाया। इस तरह संघ जबलपुर से अपने एजेंडे के तहत देश को संदेश दे रहा है।
जीतू-खरगे ने कांग्रेस पर ही फोड़ दिया एटम बम….!
कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में पिछले कुछ दिनों से एटम बम फोड़ने की प्रतिष्पर्द्धा चल रही है। कोई यह देखने को तैयार नहीं है कि इस धमाके से भाजपा का नुकसान होगा या खुद की पार्टी कांग्रेस का। राहुल ने वोट चोरी का आरोप लगाकर चुनाव आयोग और भाजपा को घेरा था। उन्होंने इसे कांग्रेस का मुख्य मुद्दा भी बनाया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी क्यों पीछे रहते। लिहाजा इन दोंनो ने भी एटम बम फोड़े। राहुल भाजपा के साथ हमेशा संघ को घेरते हैं लेकिन उन्होंने कभी उस पर प्रतिबंध की बात नहीं की। यह कमी खरगे ने पूरी कर दी और मांग कर डाली की संघ पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष जीतू ने नई बहस को जन्म दे दिया। उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी तो आरिफ मसूद को उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। मंच पर बैठे मसूद इस दौरान हाथ जोड़कर पटवारी की बात सुनते रहे। पटवारी की यह घोषणा इसलिए आत्मघाती साबित हो सकती है क्योंकि मप्र में मुस्लिम मतदाताओं के पास कांग्रेस के पक्ष में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अलबत्ता, इस घोषणा से कांग्रेस हिंदू वोटों का नुकसान और उठा सकती है। कांग्रेस के अंदर जूतमपैजार के हालात बनेंगे, सो अलग। खरगे की मांग से भी कांग्रेस को नुकसान ही होगा, फायदा नहीं। संघ ने उन्हें ऐसा करने की चुनौती दे डाली है।
टूट रहा है भाजपा में इन दावेदारों के सब्र का बांध….
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के गठन के बाद बारी निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार की है। सवाल यह है कि पहले राजनीतिक नियुक्तियां होंगी या मंत्रिमंडल में फेरबदल? प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने इस बारे में संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि निगम-मंडलों में नियुक्तियों का रास्ता जल्द खुलेगा। अभी पदाधिकारियों की घोषणा हुई है, दूसरी नियुक्तियां भी जल्द होंगी। सरकार और संगठन से जुड़े सभी रिक्त पदों को निश्चित समय सीमा में भरा जाएगा। कार्यकर्ताओं को जहां एडजस्ट करना है, जल्द करेंगे। खंडेलवाल के इस कथन के बाद पीछे के दरवाजे से सरकार का हिस्सा बनने के इंतजार में बैठे नेताओं को उम्मीद बंधी है। पड़ाेसी राज्य छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार हो चुका है लेकिन मप्र में सिर्फ इंतजार हो रहा है। मंत्रिमंडल फेरबदल में छग का फार्मूला लागू होगा या गुजरात का, इसे लेकर भी अटकलों का दौर जारी है। जो भी होगा कब होगा, इसे लेकर कोई संकेत मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की ओर से नहीं मिले। सबसे ज्यादा इंतजार में अमरवाड़ा के आदिवासी विधायक कमलेश शाह और बीना की निर्मला सप्रे हैं। ये लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। प्रारंभ में कमलेश शाह को मंत्री बनाने की खबर ने जोर पकड़ा था लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
किस नियम के तहत मिला कलेक्टर को यह अधिकार….?
बुंदेलखंड के सागर में ऐसा कुछ हुआ, जिससे हिंदू नेताओं की यह आशंका सच साबित होती है जिसमें कहा जाता है कि यदि देश में मुस्लिम आबादी बढ़ी तो हिंदुओं का अपने देश में ही रहना मुश्किल हो जाएगा। सागर कलेक्टर के एक निर्णय ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। सागर के शुक्रवारी, शनिचरी वार्ड से लगभग 65 परिवारों के पलायन की चर्चा अभी तक मीडिया में थी, अब इसकी चिंता संत समाज भी करने लगा है। हाल ही में मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज ने अपने प्रवचनों के दौरान इसका उल्लेख किया और हिंदुओं को आगाह भी कर दिया। यह दोनों वार्ड मुस्लिम बाहुल्य हैं। यहां के हिंदू परिवार मकान बेच कर शहर के दूसरे हिस्से में जा रहे हैं। कुछ हिंदुओं का कहना है कि घर के बाहर मांस के टुकड़े मिलते हैं। कई बार छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होती है। कुछ लव जिहाद के मामले भी सामने आए हैं। ऐसी खबरों की बिना जांच कराए कलेक्टर ने इस इलाके की रजिस्ट्री पर ही रोक लगा दी। सवाल है कि कलेक्टर को किस नियम के तहत इस तरह रजिस्ट्री पर रोक लगाने का अधिकार है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री सहित कई अन्य धार्मिक, हिंदूवादी और संघ से जुड़े नेता अक्सर कहते हैं कि देश के अंदर हिंदुओं की तुलना में मुस्लिम आबादी तेज गति से बढ़ रही है। यही रफ्तार रही तो भारत में एक बार फिर मुस्लिम शासन होगा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता को क्यों देना पड़ी यह नसीहत…?
मालवा अंचल के पारस जैन भाजपा के वे वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें पचहत्तर के फार्मूले के चलते विधानसभा का टिकट नहीं मिला था। फार्मूले को लेकर भाजपा नेतृत्व ने अधिकृत तौर पर कभी कोई बयान जारी नहीं किया, अलबत्ता इसके तहत ही स्वर्गीय बाबूलाल गौर और सरताज सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं का मंत्रिमंडल से इस्तीफा लिया गया था। कई अन्य नेताओं को टिकट से वंचित कर घर बैठा दिया गया था। पारस ऐसे में नेताओं में से ही एक हैं, जिनकी पीड़ा अब बाहर आई। उन्हें कहना पड़ा है कि अब न चुनाव लड़ने लायक समय बचा, न ही वैसे लोग बचे। उन्होंने नसीहत दी कि नेतृत्व को वरिष्ठ और जमीनी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना चाहिए। कहा जा सकता है कि वे मुख्य धारा में नहीं हैं इसलिए ऐसा बयान देकर ‘अंगूर खट्टे हैं’ वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। पर इतने समय बाद पारस को ऐसा क्यों कहना पड़ा? क्या वास्तव में भाजपा में वरिष्ठ नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है? उज्जैन उत्तर विधानसभा सीट से 1990, 1993 और फिर 2003 से लगातार 2013 तक जीत दर्ज कर चुके पारस ने प्रदेश सरकार में आधा दर्जन से ज्यादा प्रमुख विभागों में मंत्री के रूप में कार्य किया है। इसलिए अनुभव को देखते हुए उनकी बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह घोषणा भी की कि वे अब कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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