कर्नाटक वोटर फ्रॉड बवाल: SIT गठित, हाई-प्रोफाइल अफसर को मिली कमान

कर्नाटक की राजनीति इन दिनों वोटर फ्रॉड केस को लेकर गरमा गई है। आलंद वोटर घोटाले में सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए विशेष जांच टीम (SIT) का गठन कर दिया है। इस मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह अब राज्य की सीमाओं से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन गया है।
SIT को सौंपी गई जांच
इस केस की कमान क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी बीके सिंह को सौंपी गई है। सिंह पहले भी गौरी लंकेश और एम.एम. कलबुर्गी हत्याकांड जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कर चुके हैं। उनकी छवि सख्त और निष्पक्ष अफसर की रही है, जिससे जनता को इस मामले में भी पारदर्शी जांच की उम्मीद है।
कैसे शुरू हुआ मामला?
जांच की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे को उठाया। उनका आरोप था कि 2023 विधानसभा चुनावों से पहले फर्जी फॉर्म-7 का इस्तेमाल कर 5994 वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की कोशिश की गई। राहुल गांधी ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया।
CID से SIT तक
पहले इस मामले की जांच CID के पास थी, लेकिन चुनाव आयोग द्वारा आवश्यक तकनीकी डेटा न मिलने से यह अटक गई। अब SIT में साइबर क्राइम और स्पेशल इनक्वायरी डिविजन के वरिष्ठ IPS अधिकारी सईदुलु अदावत और शुभनविता को भी शामिल किया गया है। इससे जांच को तकनीकी मजबूती मिलने की उम्मीद है।
सरकार के आदेश के अनुसार, SIT को पुलिस स्टेशन स्तर के सभी अधिकार दिए गए हैं। राज्य पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया गया है कि आलंद वोटर फ्रॉड से जुड़े सभी FIR और केस SIT को सौंपे जाएं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साफ कहा है कि उद्देश्य निर्दोषों को न्याय और दोषियों को सजा दिलाना है।