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यासीन मलिक का हलफनामा: पूर्व नेताओं और धर्मगुरुओं से कथित संपर्कों का खुलासा

जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख और दोषी आतंकवादी यासीन मलिक ने तिहाड़ जेल से दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में पुराने राजनीतिक और धार्मिक संपर्कों का खुलासा किया है। मलिक ने दावा किया कि उन्होंने कई बार विभिन्न धर्मगुरुओं, राजनीतिक नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात की।

हलफनामे में मलिक ने कहा कि दो अलग-अलग शंकराचार्य उनकी श्रीनगर स्थित आवास पर कई बार आए और प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी दिखाई दिए। उन्होंने 2011 में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में RSS के नेताओं के साथ पांच घंटे लंबी बैठक का भी जिक्र किया, जिसका आयोजन दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर डायलॉग एंड रीकंसिलिएशन ने किया था।

मलिक ने सवाल उठाया कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद कई प्रमुख हस्तियां उनके संपर्क में क्यों आईं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के रमजान युद्धविराम (2000-01) में अपनी भूमिका का भी उल्लेख किया और कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री LK अडवानी और अन्य नेताओं ने उनके शांति प्रयासों का समर्थन किया।

इसके अलावा, मलिक ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में JKLF और UJC के नेताओं से बातचीत कर हुर्रियत नेताओं के समर्थन से युद्धविराम के लिए संयुक्त बयान तैयार करने का दावा किया। उन्होंने अमेरिका, यूके, सऊदी अरब और पाकिस्तान की यात्राओं का भी जिक्र किया, जिसमें अहिंसात्मक लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण संघर्ष पर चर्चा हुई।

मलिक के इस हलफनामे का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उनके खिलाफ आतंकवादी फंडिंग मामले में मौत की सजा की मांग की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मलिक को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है, और अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी। सरकार ने उन पर भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने और जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है।

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