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ब्रिटेन-फ्रांस रिटर्न्स ट्रीटी: पहला निर्वासन पूरा, अवैध प्रवासियों पर सख्त कदम

ब्रिटेन और फ्रांस के बीच हुए रिटर्न्स ट्रीटी के तहत पहला निर्वासन पूरा हो गया है। ब्रिटेन की गृह मंत्री शबाना महमूद ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि यह समझौता सीमा सुरक्षा और अवैध प्रवास को नियंत्रित करने की दिशा में अहम कदम है। इस पायलट समझौते की शुरुआत अगस्त 2025 से हुई थी और यह जून 2026 तक लागू रहेगा।

इस समझौते के तहत ब्रिटेन अवैध रूप से आने वाले प्रवासियों को फ्रांस वापस भेज सकता है। बदले में, फ्रांस वैध मार्गों से उतने ही लोगों को ब्रिटेन स्वीकार करेगा। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि केवल सुरक्षित और कानूनी रास्तों से आने वाले प्रवासियों को ही शरण मिलेगी, जबकि छोटी नावों द्वारा इंग्लिश चैनल पार करने वाले लोगों को अनुमति नहीं होगी।

पहले निर्वासित व्यक्ति का मामला एक भारतीय नागरिक का है, जिसने अगस्त में नाव के जरिए ब्रिटेन में प्रवेश किया था। उसे पेरिस भेजा गया और स्वैच्छिक पुनर्वास योजना का विकल्प दिया गया। यदि वह इस योजना को अस्वीकार करता है, तो भविष्य में उसे शरण का अधिकार नहीं मिलेगा और उसे भारत भेजा जा सकता है।

इस ट्रीटी को ‘वन-इन, वन-आउट’ व्यवस्था कहा गया है। ब्रिटेन जितने लोगों को फ्रांस भेजेगा, बदले में उतने ही लोग फ्रांस से वैध शरण मार्ग से ब्रिटेन आएंगे। सभी की पात्रता और सुरक्षा जांच अनिवार्य होगी।

अवैध प्रवासन में तेजी देखी जा रही है। अगस्त 2025 तक ब्रिटेन के इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटरों में 2,715 भारतीय नागरिक थे, जो पिछले साल की तुलना में 108% अधिक है। पिछले एक वर्ष में 35,000 से अधिक लोगों को निर्वासित किया गया, जिसमें शरण संबंधित मामलों में 28% की बढ़ोतरी दर्ज हुई।

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